This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.

Saturday, May 11, 2019

True and productive use of "No"

True and productive use of "No"


In today's worlds, there is a word getting popular among the words like, sorry and please and that word is 'No'.

"No" is a word that has been associated in many ways with our daily life. We can use it in both positive and negative ways in our life, we can reduce our problems. This word can be used to spoil some things, or can be used to create some things. Lets first see how

it can be used to create a positive impact. Finding goodness in good temperament, glow on face, chirping sounds of the birds, joyous conversations, and even in every trouble / distress, problem is the identification of positive energy. Just because of shyness or social awkwardness or shame or without thinking of what can be achieved and abruptly refusing to accept does not help at all with anything.

Let me explain with a story of an unemployed person. For a very long time, that person did not get any job, then one day he bought gram and, sadly, sitting on the banks of the sea, started thinking about how he is going to manage all the expenses without money. As he was thinking to himself, he saw an heron. Heron grabs the fish in the beak and throws it in the air and then eats in the beak. The person found it very fun and he began doing the same thing. He observed how the heron spreads his wings while catching the fish in beak. just like that, he also started trying to catch the gram in the mouth. Within a short time, he was able to do it perfectly.

Now he started practicing different things to catch with his mouth. While practicing, he became so good that he would throw the sword in the air and catch it in the mouth. He started earning money by showing the same trick to the people. One day a man praised his show and asked the name of his mentor. The person thought that if he would tell that his mentor is a heron then all would make fun of him. He totally denied by saying "I have no Guru". Then the person said that if you lie about your mentor and you still perform then you will bear the loss, then again he replied by saying the same thing that I have no guru, and then he went on to perform. When he threw the sword in the air, he could not catch it with his mouth. He tried many times but he couldn't do it. If he had proudly said that heron is my guru, I have learned this art from a heron, and there is no shame. The only thing which stopped him was what will people say and he might lose his viewership.


Since childhood, we have been told to not touch some things, to not eat those things, to not go to certain places. By listening to negative words like "no, do not, refuse to, deny" at all times, our subconscious repeats most of those words. This results in the increase of exploitative use of "no" in our life.

It is necessary to make some changes to overcome this negativity.

1) How many times have the word "no" been used throughout the day?

Try to use less "no" the next day.

2) Use the word "maybe" instead of "no" as far as possible.

3) Before refusing any work / thing, think about if it is necessary to refuse? Can it be beneficial?

The work that can be done after some time or the thing which can be said later, is left to refuse

4) Change your conversation into positive conversation and end on the same note as well.
 

5) A different phrase should be used everytime instead of bluntly saying no. Something like these can be used, "let's see, will let you know whatever happens, See how things turn out, I have different priorities, will let you know, maybe, can't promise it will happen, can't say but let's be optimistic".

6) There are some things whose answers should be clear, then "yes" or "no" is necessary and their answer should be clearly stated in "yes" or "no"
 

7) Those things which do not have an answer should be replied with a "no"
 

8) By changing the way we talk, we can bring happiness around us
 

9) There is nothing difficult when it comes to correcting your mistake. In some cases, it will start to feel cheerful in practice.

10) There is nothing wrong in saying "no" where its needed, just use it in a limited manner. 

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

"नहीं" का सही उपयोग



"नहीं" का सही उपयोग



आज के लोकप्रिय औऱ अधिक बोले जाने बाले शब्दों में सॉरी, प्लीज के साथ एक शब्द और प्रचलन में आ रहा है और वह है ' नहीँ '।


"नहीं" एक ऐसा शब्द है जो कई रूप में हमारी रोज की जिंदगी के साथ जुड़ गया है। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से अपने जीवन में प्रयोग करके हम अपनी समस्याओ को कम कर सकते हैं।यह शब्द कुछ चीजें बिगाड़ सकता है तो कुछ चीजें बना सकता है। अभी
सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए बात करते हैं। अच्छा स्वभाव, चेहरे की चमक, चहकती आवाज, खुशी भरी बातचीत, औऱ हर परेशानी/दुख तकलीफ में भी अच्छाई ढूंढ लेना सकारात्मक ऊर्जा की पहचान है। सिर्फ शर्म के कारण किसी बात को मना कर देना, स्वीकार नहीं करना, ठीक नही होता।

एक बेरोजगार ब्यक्ति था। काफी समय तक उसे कोई नौकरी नही मिली तो एक दिन उसने चने खरीदे और उदास होकर समुद्र के किनारे बैठ कर चने खाते हुए सोचने लगा कि बिना रुपयो के खर्चा कैसे चलेगा। अचानक उसकी नजर एक बगुले पर पड़ी। बगुला चोंच में मछली को पकड़कर हवा में उछलता ओर चोंच में लपककर खा लेता। व्यक्ति को यह बहुत मजेदार लगा और वह ध्यान से बगुले के मछली को उछालने और वापस चोंच में पकड़ने के तरीके को देखने लगा और उसी की तरह वह भी अपने हाथ मे पकड़े चने को हवा में उछलकर मुँह में पकड़ने की कोशिश करने लगा। कुछ समय में ही उसे भी ये करतब करना आ गया।

अब वह अलग अलग चीजों को उछालकर मुँह से पकड़ने का अभ्यास करने लगा। अभ्यास करते हुई वह इतना होशियार हो गया कि तलवार को हवा में फेंक कर मुँह में पकड़ लेता था। यही खेल लोगों को दिखा कर वह पैसे कमाने लगा। एक दिन एक आदमी ने उसके खेल की तारीफ़ करते हुए उसके गुरु का नाम पूछा।व्यक्ति ने सोचा अगर वो बगुले को अपना गुरु बताएगा तो सब उसका मजाक बनाएंगे। उसने एकदम मना कर दिया कि मेरा कोई गुरु नही है। तब उस आदमी ने कहा अगर झूठ बोल कर करतब करोगे तो नुकसान उठाना पड़ेगा, पर व्यक्ति ने दुबारा  साफ मना कर दिया की मेरा कोई गुरु नहीं है, और फिर जब उसने तलवार हवा में उछाली तो उसे वापस मुँह में नही लपक सका। उसने कई  बार कोशिश की पर दोबारा करतब ठीक हुआ ही नहीं। यदि वो गर्व से कहता कि हा, मेरे भी गुरु है मैने एक बगुले से यह कला सीखी है तो कोई शर्म की बात नहीं थी क्योंकि यह हमारे मन के भाव होते है कि लोग क्या कहेंगे।

बचपन से सुनते हैं कि "ये चीज मत छुओ, ये चीज नही खाओ, वहाँ नही जाओ, ये नही करो"। हर समय "ना, नहीं, मत, मना, इंकार" जैसे नकारात्मक शब्दों को सुनकर हमारा अवचेतन मन ज्यादातर उन्ही शब्दों को दुहराता हैं। नतीजा होता है हमारे चारों तरफ "नही" की अधिकता बढ़ जाती है।

इस नकारात्मकता को दूर करने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी है।

1) पूरे दिन में कितनी बार "नही" शब्द का प्रयोग किया है?
अगले दिन कम बार "नही" शब्द का उच्चारण करना है।

2) जहाँ तक संभव हो "नही" की जगह "शायद" शब्द का प्रयोग करे।

3) किसी काम/बात को मना करने से पहले सोचें कि क्या मना करना जरूरी है? क्या वास्तव में वह काम नही किया जा सकता?
जो काम कुछ समय बाद किया जा सकता है या जो बात बाद में कही जा सकती हैं उसे मना करने से बचे

4) कोशिश करें "नही" शब्द को कह से कम प्रयोग करें।

5) अपनी बातचीत को सकारात्मक बातचीत में बदले।

6) जिस काम को करने की एक प्रतिशत भी सम्भावना हो उसके लिए कुछ अलग वाक्य बोले - कि देखते है, क्या पता ये हो जाये, करके देखने से पता लगेगा,शायद हो जाये, अभी कुछ नहीं कह सकते

7) कुछ काम ऐसे होते हैं जिनके उत्तर स्पष्ट होने चाहिए,तब "हाँ" या "नही" जरूरी होता है और उनका जवाब साफ साफ "हाँ" या "नही" में ही देना चाहिए
8) जिन बातों/कामो का उत्तर नहीं ही है उनको मना कर देना चाहिए
9) अपनी बातचीत के तरीके को बदल कर हम अपने आसपास खुश्हाली ला सकते है
10) अपनी गलती को सही करना आ जाये तो  कुछ भी मुश्किल नहीँ होता। कुछ समय में ही  व्यवहार में भी प्रफुल्लता महसूस होने लगेगी।
11) जहाँ जरूरत हो वहाँ ना कहने में बुराई नही है  बस इस शब्द का उपयोग सीमित मात्रा में करे।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Wednesday, May 8, 2019

थोड़ा विश्वास रखें



थोड़ा विश्वास रखें


हम अपने बचपन में सुनी कहानियों के माध्यम से ही आजकल की कई बुराइयों, कमियों और परेशानियों का सामना करके उनसे छुटकारा पा सकते हैं।

एक पर्वतारोही था।काफी ऊँचे ऊँचे पहाड़ चढ़ चुका था ।दूर दूर तक उसका नाम था। लोग पूछते थे कि इतनी ऊंचाई तक चढ़ते हुए गिरने का डर नही लगता।वह हँस कर जवाब देता था कि भगवान पर बहुत बिश्वास करता हु मेरा प्रभु मुझे कुछ नहीं होने देगा। 

एक दिन उसने  पहाड़ चढ़ने के कार्यक्रम बनाया। पर जब घर से
निकलने लगा तो मौसम खराब हो गया। सब लोगों ने कहा कि मत जा। इस मौसम में चढ़ना खतरनाक हो सकता है। उसने किसी की नही सुनी और वह  तेज हवाओं में ऊपर तक तो चढ़ गया पर जब नीचे उतरने लगे तोआँधी आने लगी बादलों से चारो तरफ अंधेरा हो गया। वह अपने भगवान को याद करते हुए जल्दी जल्दी उतरने लगा ,बहुत सावधानी से उतरते हुए भी अंधेरे में उसका पैर फिसल गया और वह तेजी से नीचे गिर ने लगा। अपने प्रभु को पुकारते हुए इधर उधर हाथ मारने लगा तो एक कोई टहनी उसके हाथ में आ गई और वह उस टहनी को पकड़कर लटक गया अब पैर मारकर देखा तो पैरो के नीचे जमीन नही थी। अब वह जोर जोर से अपने इष्ट को  मदद के लिए पुकारने लगा। दो बार पुकारने के बाद ही आवाज आई कि टहनी छोड़ दें तो तेरी जान बच जाएगी। आदमी ने सोचा अंधेरे मे कौन बोल रहा है। उसने पूछा तो उत्तर आया कि मै तेरा भगवान हूँ, जान बचाने के लिए टहनी छोड़ दें नही तो इतनी आंधी तूफान में तेरा बचना मुश्किल है। आदमी ने सोचा पता नही कितनी ऊँचाई पर लटका हूँ, सुबह होने पर देख लूँगा, पर टहनी छोड़ दी तो जरूर गिर कर मर जाऊँगा। आंधी तूफान सुबह तक समाप्त हो गया और वह घर नहीं पहुंचा। लोग उसे ढूंढने निकले तो देखा कि वो पहाड़ पर जमीन से चार इंच की ऊँचाई पर लटका हुआ है रात के तूफ़ान में उसकी मृत्यु हो गई थी।
  • विश्वास एक ऐसी शक्ति है जो बड़ी से बड़ी समस्या का सामना करने की ताकत देता है।विश्वास के बल पर ऊँचे पर्वत चढ़े जा सकते हैं पर भरोसा न हो तो चार इंच की दूरी भी पार नही होती।जब नींद नही आती तो हम मान लेते है कि दवाई खा कर नींद आ जायेगी। यदि नींद लाने के उपाय किए जाए और पक्का इरादा कर ले कि धीरे धीरे दवाई से पीछा छुड़ाना है, तो कुछ समय में ही ये संभव हो जायेगा।
  •  तो आज से ही मन मजबूत किया जाय।

  1. सोने से तीन घण्टे पहले खाना खा लेना चाहिए।
  2. अगले दिन के काम के नोट्स बना कर रख देने चाहिए।
  3. सोने के कमरे को व्यवस्थित तरीके से रखे।साफ सुथरा ।
  4. अपने मन पसन्द रंग के तकिये के कवर और चादर लगाये।
  5. सोने से आधा घंटा पहले कमरे में हल्की सी खुशबू करे। इसके लिए परफ्यूम, इत्र, अरोमा, का प्रयोग करे अगर किसी सुगंध से एलर्जी हो तो ना करें। 
  6. बहुत कम आवाज में हलका संगीत चलाये।
  7. सोने वाले कमरे में रोशनी कम रक्खे।
  8. कुछ लोगों को पुस्तक पढ़ कर अच्छी नींद आती है।
  9. अगर सोने से पहले टेलीविजन देखने की आदत है तो कोशिश करें कि कुछ मज़ाकिया, हँसी मज़ाक के कार्यक्रम देखे।
  10. कभी कभी थोड़ा बहुत टहल कर भी नींद अच्छी आ जाती है।
  11. दिन में चाय कॉफी की मात्रा कम करने की शुरुआत करें। ग्रीन टी नुकसान नहीं करती हो तो थोडी थोड़ी करके शुरू करे और पानी ज्यादा पियें।
  12. नीद लाने के लिए मन को तैयार करना जरूरी है कि  समय लगेगा पर बिना दवाई के भी नींद आएगी और विश्वास की ताकत से यह संभव भी होगा। बस प्रयास करते रहना है। 

 अपनी दिनचर्या में सुधार करके नींद भी आएगी और आँखों के काले घेरे, झाइयां, झुर्रियां भी दूर होंगी। मन को प्रसन्न, खुश, प्रफुल्लित,आनन्दित और उत्साह से भरपूर रखें। यही गहरी नींद का राज है।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Have a little faith


 Have a little faith



Today, we talk about faith. We can get rid of or confront many issues, shortcomings and problems of life, through the stories we heard in our childhood.

            There was a mountaineer. He climbed very high mountain because of which he became quite popular. People used to ask him if he is ever scared of falling from such height. He would laugh and reply that I believe in God very much that my Lord will not let anything bad happen to me.

One day he thought of climbing a mountain. But as soon as he started to leave his house, the
weather got bad. All of his neighbors and relatives asked him to stay put and not go for a climb as climbing in this weather can be dangerous. He did not listen to anyone and he got up to the top in the stormy winds, so he started to retreat, The dark stormy clouds started appearing. He started to hurry, while remember his Lord and enchanting his prayers, rushing down very carefully. Even though he lost his grip and his foot slipped. He started falling while calling God for help. He started hitting his hand around there to grab onto something. Luckily he grabbed a twig. As he was hanging on that twig, he started shouting and calling out god for help. Right after he stopped screaming to gasp for air, he heard a voice asking him to leave the twig and telling him that he will live only if he lose his hold of that twig. The man asked, who is speaking in the dark. He heard the same voice again telling him to leave the twig, otherwise it is difficult to survive in such storm. The man thought if he lose the twig, he will fall and die. The storm ended by the morning. Neighbors got worried and started search for the man, they found his body hanging on a branch with only four inches of distance from his feet to the ground.
  • Faith is something which gives strength to face bigger problems. High mountains can be conquered by having a little faith. But if you lose the faith then the distance of four inches starts to seem scary. When we could not sleep, then we take medicine for the sleep. If such measures are to be taken to sleep then we should have strong determination to look for natural ways to gradually become independent of the medicine addiction for sleep. Only then it will become a possibility.
  • So the mindset is the first thing which should be strengthened
  1. The food should be eaten three hours before sleeping.
  2. The tomorrow's work notes should be pre-planned and created today.
  3. Keep the rooms clean, tidy and organised.
  4. Put pillow-covers and bedsheets of your favorite colors.
  5. Keep your room smelling fresh and nice by using subtle fragrance or aroma before going to bed. If you are allergic to any aroma, then do not use it.
  6. Play soothing music on very low volume.
  7. Keep Low/dim lights in the sleeping room
  8. Try reading a book or a few pages before going to bed.
  9. If you have a habit of watching television before sleeping then try to see some comedy shows.
  10. Go for a short and slow walk after dinner to sleep well.
  11. Start reducing tea and coffee intake. Get in touch with your physician/doctor and ask if you could drink green tea or green coffee.
  12. Get rid of all the distractions and clear your mind of all the worries before going to bed. It’s possible to get rest and sleep. Try to get rest and will eventually fell asleep. Have faith.

Improve your daily routine and Keep your mind calm and yourself happy, cheerful and enthusiastic. That is the secret of deep sleep.

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

Tuesday, May 7, 2019

जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण और कदम



जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण और कदम

New Perspective and Steps towards Life

हम बहुत फंस गए हैं

जीवन के प्रति हमारी मान्यताओं में हम भूल जाते हैं कि एक सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है। वह चीज जो एक सकारात्मक व्यक्ति को आसपास की नकारात्मकता से अलग करती है, वह है परिस्थितियों और जीवन की घटनाओं के प्रति दृष्टिकोण। संक्षेप में,जीवन जीने का मतलब वह है जिसमें अच्छा स्वास्थ्य भी शामिल है। जीवन में जो कुछ भी होता है वह तनाव का कारण बनता है और कई तरह की बीमारियां देता है। एक उदाहरण की मदद से विस्तार से जानते हैं। 

New Perspective and Steps towards Life

New Perspective and Steps towards Life

(हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे)

New Perspective and Steps towards Life

We are so stuck

in our beliefs towards life that we forget even a coin has a flip side. The thing that differs a positive person from a gloomy one is the perspective towards circumstances and life events. Life, in essence, means living which also includes good health. Everything that has happened in life is what causes stress and gives a variety of diseases. Let me elaborate with the help of an example