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Tuesday, May 28, 2019

निन्यानवे का फेर

निन्यानवे का फेर

किसी गाँव में एक पति-पत्नी बहुत हँसी-खुशी से रहते थेा। उनका साधारण रहन-सहन थाा। सारी आमदनी खर्च हो जाती थी, और वह कुछ बचत भी नही कर पाते थे। लेकिन, फिर भी गांव वालों ने कभी उन्हें किसी भी बात के लिए नाराज होते, गुस्सा करते हुए, लड़ते-झगड़ते या चिड़चिड़ाते हुये नही देखा था। एक दिन, सब आपस मे यही बात करने लगे कि, दोनों के जीवन में सुख सुविधाएं नहीं है, फिर भी दोनों खुश रहते हैं। तब एक बुजुर्ग ने हँसते हुए कहा, कि, वह अभी निन्यानवे के फेर में नही पड़े है, इसलिए खुश हैं। जितना कमाते है उतना खर्च कर देते है कल के लिये कुछ बचा कर नही रखते औऱ कल की चिंता भी नही करते। पर कुछलोगों का कहना था कि ऐसा नहीं होता। उनके पास ज्यादा रुपये होते तो वह खर्च करते जब रुपये नही है तो खर्च कहा से करेंगे। तब बुजुर्ग ने कहा कि उन्हें कुछ रुपये देकर देख लेते हैं। अगले दिन पति को अपने घर के दरवाजे पर एक पोटली रखी हुई मिली जिसमे 99 रुपये थे। (अब ये कहानी उस समय की है जब एक रुपया कमाना बहुत ज्यादा बड़ी बात होती थी जैसे आज के एक लाख रुपये की बात कोस समय के सौ रुपये के बराबर समझ सकते हैं) उन दोनों ने गाँव में सबसे पूछा पर सबने यही कहा कि पैसे उनके नहीं है। सारे गाँव के कहने पर उन्होंने रुपये रख लिए औऱ घर आकर गिने तो वह 99 रुपये थे।दोनों सोचने लगे कि रुपये कहाँ से आये। सारी रात रुपयो के बारे में ही बात करते रहे। दिनभर काम में मन नहीं लगा और शाम को फिर वही बात करने लगे की एक रुपया मिलाकर पूरे सौ हो जायेगे।अब दोनो एक रुपया बचाने के बारे में सोचने लगे कम खाना,ज्यादा समय तक काम करना औऱ हर समय पैसे बचने की तरकीब सोचना शुरू कर दिया।धीरे धीरे हंसना कम हो गया और उसकी जगह गुस्से ने ले ली,क्योंकि अब दोनों निन्यानवे के फेर में पड़ गये थे।

हमारे साथ भी यही हो रहा है।हम सब भी निन्यानवे के चक्कर में लगे हुए हैं।हँसी,खुशी, मजाक ,मौज मस्ती,शैतानी,इन सब को एक तरफ रखकर हर समय परेशानियों के बारे में सोचते रहते है आज की खुशी को महसूस करने की बजाए आने वाले समय की अनजानी मुसीबतों को सोचकर चिन्ता करते है।

आज से सोचना होगा कि जो हो रहा है वो सही है आज को आनन्द से गुजारना है, आने वाले समय को और ज्यादा सुधारना होगा पर उसके लिए आज को  खराब नही करना क्योंकि आज का समय फिर लौट कर नहो आएगा।  जहाँ पैसा समाज मे स्थान बनाने के लिए, रहन सहन सुधारने के लिए जरूरी हैै। वहीँ खुशी हमारे मन की, शरीर की ,चेहरे की सुंदरता, औऱ, निर्मलता के लिए जरूरी हैै। जो लोग खुश रहते है, उनका व्यक्तित्व चुम्बकीय हो जाता हैं। चेहरे पर निश्छलता आ जाती हैं, सारी बीमारियां, सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Ninety-Nine's Vicious Circle

Ninety-Nine's Vicious Circle

In a village, a couple lived very harmoniously. They had a simple lifestyle. All income was spent, and they could not even save anything. But, even then the villagers never saw them angry, irritated, or quarreling for anything. One day, everyone started talking about them saying, "there is no pleasure in the life of both, yet both of them are happy". Then an elderly person laughed, saying that "they are not yet stuck into 99's vicious circle, that's why they are so happy. The more they earn, the more they spend, they never save anything for tomorrow and nor they worry for tomorrow". But some people said that it cannot be like that. If they don't have the money then how do they spend. Then the elderly said, give them a few bucks and see them. The next day, There was a bundle of cash placed in front of their house containing 99 rupees (Now this story is ofthe time when making a rupee was considered a luxury. Its equivalent to today's one lakh rupees a day). Both of them asked in the village for the owner of that bundle but everyone said that money is not theirs. They kept the rupees as one of the villager suggested them to count the money and keep it. Both started thinking about "where the money came from?". They kept talking about it all night. They were thinking about the money while working and in evening they started talking about how one rupee will it a whole. Adding just one rupee to it will make it a hundred rupees. Now both of them started thinking about saving a little, So they started consuming less food, working longer hours etc. All of this to save money. Harmony among them slowly diminished and they became angry and irritated overtime, because now both of them had fallen in the ninety-nine vicious circle.

This is happening with us too. We are all engaged in the circle of 99. Our harmony, happiness, goffy, fun is diminishing over time. We keep on thinking about the problems at all time, instead of being in the moment and feel the presence of happiness in our day to day lives. We worry too much about the troubles and problems which haven't even happened yet.

From today, you have to think about whatever that is happening is right for me, spend today happily, believe that the time yet to come will improve but don't spoil your present because today's time will not return. Where money is needed to make a place in society, it is necessary to improve living tolerance. The same happiness is necessary for our mind, body, beauty of the face, and cleanliness. Those who are happy, their personality becomes attractive. All illnesses, all negativity will disappear.

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

Saturday, May 25, 2019

ईमानदारी



ईमानदारी

आजकल, चारों तरफ बेईमानी, चोरी ,धोखाधड़ी के बारे में बात होती हैं। रोज की जिंदगी में कभी-कभी हमारे साथ भी, कुछ ऐसी ही बात हो जाती है, जो कभी हमे गुस्सा दिला देती है तो, कभी, परेशान कर देती हैं।

○ एक भिखारी को एक रूपयों से भरी थैली मिली। उसने  थैली उठाई ,रुपये निकाल कर गिने, पूरे 200 रुपये थे। तभी वहाँ एक सेठ आयाे। सेठ बहुत घबराया हुआ थाे। उसकी रुपयों से भरी थैली रास्ते में कहीं गिर गई हैे। सेठ ने भिखारी से कहा कि वह थैली ढूढ़ने वाले को कुछ रुपये इनाम में भी देगा। भिखारी ने थैली निकाल कर सेठ को दे दी और बदले में सेठ से इनाम के रुपये मांगे।अब सेठ की नीयत बदल गई। उसने रुपये गिने और बोला इसमें रुपये कम है। इसमें 300 रुपये थे। तुमने पहले ही रुपये निकाल लिये है। बात इतनी अधिक बढ़ गई कि, उन्हें राजा के पास जाना पड़ा। राजा ने सारी बात बहुत ध्यान से सुनी, और वो समझ गया कि, सेठ के मन मे बेईमानी, चालाकी और धोखाधड़ी आ गई है। राजा ने कहा कि सेठ की थैली में ज्यादा रुपये थे। इसका मतलब ये थैली इस सेठ की नही है। इस थैली का कोई मालिक नही है, और इतना कहकर राजा ने वो थैली भिखारी को दे दी।

○  हम सब के साथ, कई बार, बेईमानी हुई है।

1.परीक्षा के समय, मैंने जल्दी प्रश्नपत्र हल कर लिया। औऱ मेरे बाहर आने के बाद, मेरे पीछे वाले छात्र ने रो धोकर निरीक्षक से मेरी उत्तरपुस्तिका मांग ली और आराम से सब उत्तर की नकल कर ली।

2.बाजार में, दुकानदार "सामान" तौल कर, थैले में पलटते समय, थोडा समान, तराजू के नीचे लट के अपने थैले में गिरा लेते है।

3.सामान लेते समय जितना समय पर्स से रुपये निकलने में लगता है उतनी देर में थैली बदल कर सड़े हुए सामान को रख देते है।

4.वजन के बट्टे को घिसकर हल्का करना,

5.दफ्तर में हमारे द्वारा किए गये काम का श्रेय कोई और ले लेता है।

6.तरक्की की लाइन में नम्बर हमारा होता है और दूसरे सहयोगी  साम, दाम, दंड, भेद लगाकर उसे ले लेते है

बेईमानी हर जगह है पर अभी बात अपनी कर रहे हैं जब भी ऐसा कुछ होता है बहुत गुस्सा आता है जो अपने शरीर और दिमाग के लिए बहुत खराब होता हैऔर उसके कारण ,स्वभाव में नकरात्मकता आ जाती है। पहले अपने विचारों को शान्त करे और जिस ने बेईमानी की है उसे बताये की उसकी चालाकी के बारे में आपको पता है। यदि ठंडे स्वभाव के साथ बात कर सकते हैं तो ही बात करे वरना उसे कुछ समय के लिए टाल दें।बात यदि काम से सम्बंधित है तो सोचे कि कहीं बात बिगड़ कर काम पर असर कर सकती हैं तो उसे न करें।

मन को बहुत शान्त रखें। जिन बातों को बदल नही सकते उन पर अफ़सोस करने की बजाए सोचे कि आप और अधिक पाने के अधिकारी है यह कम था इसलिए दूसरे को मिल गया।आप ज्यादा पाने के लिये नए सिरे कमर कस कर तैयार हो जाए क्योंकि अब आपको ज्यादा ही मिलेगा। इन्हीं सकारात्मक विचारों को अपनी ताकत बना कर बुराई का मुकाबला अच्छाई से करे।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Honesty

 Honesty

Nowadays, most of us are guilty of dishonesty, theft and cheating etc. Sometimes, we become victim of such things, which makes us upset or even angry.

○ Here is a story to explain how such dishonesty affects us more than it affects victims. 


A beggar found a small bag full of rupees. He picked up the pouch, took out the money and counted it, there were 200 rupees. Then a rich person, a landlord came. Landlord was very nervous. His bag full of money has fallen somewhere in the way. landlord told the beggar that he would give some reward in the return of the pouch. The beggar took out the pouch full of 200 rupees and gave it to landlord and in return sought landlord's reward. Now, the heart of landlord changed. He counted the money and said "there is less money in it. There were 300 rupees in it. You have already withdrawn the money.". The matter got so big that they had to go to the king. The king listened very carefully to all, and he understood that, landlords's is being dishonest and is trying to cheat the beggar. King said that "there were more rupees in landlord's bag. This means that this bag is not of the landlord. There is no owner of this bag", and by saying so, Raja gave that bag to the beggar.

○ Most of us has been a victim of such dishonesty. Some most common one's are stated below;

1. At the time of the examination, I quickly solved the question paper. And as I came out of the examination room, the student behind me started crying and asked the inspector for my answer-book in which I wrote all the answers of the given exam and copied all the answers comfortably.

2. In market, the shopkeepers weigh the "stuff" on a weighing scale and, while putting it in the bag, some quantity of the same is dropped in the container placed below the weighing scale.

3. The time we mother's spent taking the money out of our purse, the shopkeeper's replaces the chosen and selected stuff with the lesser quality or even with the rotten stuff.
 

4. Reducing the weight of the weight plates which are used to measure the weight by stroking it and making it slightly thinner,
 

5. Someone else takes credit for work done by us in the office.

6. Other partners or colleagues getting ahead of us by using unethical means (by hook or by crook)
 

Bad and wrong people are everywhere. Such situations are very bad for our body and mind, and because of such situations, negativity starts to develop in our personality and life. 

First, calm your thoughts and let the person who has been dishonest with you know about his tricks and that you see right through him. Talk only if you are a person with a cold temper or let it slide for a while. If such thing happens at the workplace then think if it affects your work or threatens your career, then decide.

Keep your mind very calm. Rather than regretting things which you can not change, think that you have something better going for you. That you deserve better. You get ready to get a new look, because now you will get more. By making these positive thoughts their strength, do good to fight evil.

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

Wednesday, May 22, 2019

हमें अच्छाई देखनी चाहिए



हमें अच्छाई देखनी चाहिए

एक लड़का जब भी अपनी खिड़की से बाहर देखता था, तो, बहुत दूर, एक सुनहरा, चमकीला ,सुंदर सा मकान दिखाई देता था। वह सोचता रहता था, कि, उस मकान में रहने वाले लोग कितने भाग्यशाली हैं. कितने अमीर, और कितने सुखी होंगे, जो, इतने सुंदर मकान में रहते हैं। एक दिन लड़के ने मातापिता से बोला, कि, वो एक मित्र से मिलने जा रहा है, शाम तक वापस आ जायेगा। वह ख़ुशी-ख़ुशी मुश्किल रास्ते को पार करके उस मकान तक पहुंच गया। वहाँ पर उसकी ही उम्र का एक लड़का था। पहले लड़के ने बताया, कि, उस सुंदर घर को देखने के लिए वह बहुत दूर से आया है। दूसरा लड़का हंसते हुए उसे अपनी खिड़की पर ले गया, और बोला, कि, एक सुंदर मकान तो मैं सामने की पहाड़ी पर देखता हूं, उसकी सतरँगी चमक इतनी सुंदर है, कि, दूर-दूर तक इतना खूबसूरत घर यहाँ कोई नहीं है। वह घर पहले लड़के का घर  था। जिस पर रोशनी इस प्रकार से गिर रही थी, कि, वह घर सतरंगी, सुंदर, चमकीला दिखाई देता था।

       यही हमारा हाल है। सच यही है, कि, हम दूसरों को देख कर, मन में सोच लेते हैं, कि, हम सब से ज्यादा दुखी है, हम बीमार है, दूसरे स्वस्थ और सुखी हैं। हर चीज में, सामने वाले को ज़्यादा "बेहतर" और अपने को "बिचारा" समझ कर, अपने लिए अच्छा सोच नही पाते। अपनी परिस्थितियों को ठीक करने के लिए किसी दूसरे की जरूरत नहीं होतीैं, हम स्वयं ही ठीक कर सकते हैं। अपनी अच्छाइयों को देखने की आदत बनानी होगी। अपनी कमियों को दूर करने के लिए मेहनत करनी होगी। हम बहुत अच्छा करते  हैं और हमें ज्यादा अच्छा करना है यही मूल मंत्र तरक्की की सीढ़ी का काम करेगा। जब कभी निराशा या गुस्सा मन मे आने लगे तभी समझ लेना चाहिए कि अब मंजिल पास ही है और सफलता मिलने वाली है। जैसा सोचते हैं, वैसी ही परिस्थिति मिलने लगती ह। तो सफलता के लिए सोचना ही, सफल होने की पहचान है।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Goodness We Should See

Goodness We Should See

When a boy used to look outside his window, then, a golden, bright, beautiful house was seen far away. He kept thinking, how fortunate people are living in that house. How rich and how happy they are, who live in such a beautiful house. One day the boy said to the parents, that he is going to meet a friend, he will be back in the evening. He happily crossed the difficult road and reached that house. There was a boy of his own age there. The first boy said, that he came from far away to see that beautiful house. The second boy laughed, took him to his window, and said, 'I see a beautiful house on the front hill, its colorful and shines so bright. It is so beautiful. There is no such beautiful house in his area. That house was the first boy's house. On which the light was falling in such a way, that, the house would look beautiful, beautiful, bright.

That's our situation. The truth is, that, we look at others, think in our mind that, we are sad and sick, others are healthy and happy. In everything, we feel as if other is more "better" and we are "bad". There is no need for anyone else to fix our circumstances, we can fix our situations ourselves. You have to make a habit of seeing your good qualities. To overcome our shortcomings, we have to work hard. "We are doing well and we have to do better" this basic mantra will help you in climbing the ladder of progress. Whenever you feel frustration or anger, then think as if you are near success and you are going to get through it. So to think for success, is the identity of being successful.

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy


Tuesday, May 14, 2019

What will People Say

What will People Say!

A father and son bought a horse and thought of bringing it home. While returning, both of them started conversing that they've found a very good horse at a very low price. Even the people passing by told them how good their horse. they also made fun of the boy and his father for walking on foot while having a horse. He asked his son to sit on a horse and started walking on foot by himself. A little further, A group of people passed by saying, "how bad his son is? the father is walking on foot and the son is riding the horse". Now after hearing this the boy got off the horse and asked his dad to get on it. A few steps had already passed, the people who worked in the fields started laughing at them and started shouting that "look at the father, Such a heartless father. He is sitting on the horse with ease and the son is walking in such burning sun." Now the father also asked the son to sit with him on the horse. Only after walking a few miles, some bystanders in the path looked at the father and son both sitting on the horses. They started screaming "look at those heartless father and son, riding that poor horse. It looks like that poor horse is about to die". Now both of them got off from the horse and start thinking about what to do now. After thinking for a short while, the two took a strong wooden bamboo and tied the horse on it and lifted it on their shoulders and started walking. All this was the result of what people said to them. They worked according to the criticism they received. They did as they were told. Because of which they neither received any praises, they became a joke and after all that it had bad effect on their health.

The idea of ​​"what people will say" will greatly affect the life style of the person. Often parents raises their children according to their thoughts and ideology. While child's wishes are never heard. Children work hard to fulfill their family's expectations. Later on, they work hard to impress their teacher and after growing up, before signing up for work, they sees if other people appreciates what they have done. While other work on what makes them happy, because of which their personality becomes joyous and cheerful. Later on such people starts keeping people around them happy. Do the work which bring out your personality, which makes you happy ones to keep in mind your happiness awrunka behavior would have been better with her and around her ..

        
To build a positive energy inside you, you have to start from today.

Instead of obeying every thing of the people, think Whether you will feel happy in doing that work or not.

The work or task which feels good to do then do that. Don't work just because someone tell's you to do it.

Do a job everyday which makes you happy.

Wear your favorite clothes.

Try to help at least one person in the day, everyday.

While answering or saying anything, keep smiles on the face. Slowly this will remove negativity.

When you start listening to your heart and mind, then everything starts to feels good and the complaints starts to decrease, this is the beginning of real happiness.


  

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

लोग क्या कहेंगे!



लोग क्या कहेंगे!


एक पिता औऱ पुत्र घोड़ा खरीद कर लाते हैं। वापस लौटते समय दोनों ही बातें करते हुए चलते हैं कि बहुत बढ़िया घोड़ा बहुत कम दाम में मिल गया।तभी वहाँ से जो आदमी गुजर रहा था वह उनसे बोला कि तुम कैसे लोग हो घोड़ा होते हुए भी पैदल चल रहे हो ।यह सुनकर पिता ने अपने बेटे को घोड़े पर बैठने को कहा और खुद पैदल चलने लगा।थोड़ा आगे बढे तो सामने से जो लोग आ रहे थे वह आपस मे बोले देखो कैसा बेटा है बाप तो पैदल चल रहा है और खुद घोड़े पर है।अब लड़के ने पिता को घोड़े पर बैठा दिया और  खुद पैदल चलने लगा। चार कदम ही चले थे कि आगे खेत मे काम करने वाले लोग उन्हें देख कर हंसने लगे कि देखो क्या समय आ गया बाप आराम से घोड़े पर है और बेटा बिचारा पैदल चल रहा है।अब पिता ने बेटे को भी घोड़े पर बैठा लिया।कुछ दूर चलने के बाद ही आगे से आते लोगो मे से एक आदमी बोला  देखो दोनों ही घोड़े पर बैठ गए हैं बिचारे घोड़े की तो जान ही निकल रही होगी। अब दोनों घोड़े से उतर कर सोचने लगे कि अब क्या करे।थोड़ा सोचने के बाद दोनों ने एक मजबूत लकड़ी,बाँस लेकर घोड़े को उस पर बाँध लिया और अपने कंधे पर उठा कर चल दिये।लोगों के कहने के अनुसार काम करने से अपना काम भी नही होता, मजाक भी बनता है, और उसके बाद की परेशानी से स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ता है

लोग क्या कहेंगे यह विचार व्यक्ति की कार्यशैली को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है।अक्सर मातापिता अपने बच्चों को अपने विचारों के अनुसार पालते है ।बच्चों की मर्ज़ी को नही सुना जाता।बच्चे अपने परिवार के लोगो को उम्मीदो पर पूरा उतरने के लिए मेहनत करते हैं बाद में अपने अध्यापक को प्रभावित करने के लिए औऱ बड़े होने के बाद हरेक काम करने से पहले वो अच्छी तरह देखते हैं कि उनके कामो पर अन्य लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी ।परन्तु जो अपने व्यक्तित्व को उभारने के लिए काम करते है अपनी खुशी का भी ध्यान रखते है और उनका व्यवहार ज्यादा अच्छा होता है वह अपने को और अपने आसपास वालों को खुश रखते हैं।.

अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा बनाने के लिए आज से ही शुरूआत करनी होगी। लोगों की हरेक बात को मानने की बजाए सोचे आप वह काम करने में खुशी महसूस करेंगे या नहीं अगर सामने वाले कि बात न मानी जाए तो कोई नुकसान तो नहीं है।

जिस काम या जिस बात को करने से अच्छा लगे। वही करना चाहिए। केवल लोगों के लिए काम नहीं करे। पूरे दिन में एक काम अपनी खुशी के लिए जरूर करे।

मन को खुश करने के लिए अपने मन पसन्द कपड़े पहने।

दिन में किसी की मदद करने की कोशिश करें

सबकी बातों का जवाब देते समय चेहरे पर मुस्कुराहट बनाये रखें। धीरे धीरे आपके चारो तरफ से नकारात्मकता दूर हो जाएगी।

जब अपने मन की सुनना शुरू कर देते हैं तो सब कुछ अच्छा लगता है और आसपास के माहौल से शिकायत कम होने लगती हैं यही प्रसन्नता की शुरुआत होती हैं।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Saturday, May 11, 2019

True and productive use of "No"

True and productive use of "No"


In today's worlds, there is a word getting popular among the words like, sorry and please and that word is 'No'.

"No" is a word that has been associated in many ways with our daily life. We can use it in both positive and negative ways in our life, we can reduce our problems. This word can be used to spoil some things, or can be used to create some things. Lets first see how

it can be used to create a positive impact. Finding goodness in good temperament, glow on face, chirping sounds of the birds, joyous conversations, and even in every trouble / distress, problem is the identification of positive energy. Just because of shyness or social awkwardness or shame or without thinking of what can be achieved and abruptly refusing to accept does not help at all with anything.

Let me explain with a story of an unemployed person. For a very long time, that person did not get any job, then one day he bought gram and, sadly, sitting on the banks of the sea, started thinking about how he is going to manage all the expenses without money. As he was thinking to himself, he saw an heron. Heron grabs the fish in the beak and throws it in the air and then eats in the beak. The person found it very fun and he began doing the same thing. He observed how the heron spreads his wings while catching the fish in beak. just like that, he also started trying to catch the gram in the mouth. Within a short time, he was able to do it perfectly.

Now he started practicing different things to catch with his mouth. While practicing, he became so good that he would throw the sword in the air and catch it in the mouth. He started earning money by showing the same trick to the people. One day a man praised his show and asked the name of his mentor. The person thought that if he would tell that his mentor is a heron then all would make fun of him. He totally denied by saying "I have no Guru". Then the person said that if you lie about your mentor and you still perform then you will bear the loss, then again he replied by saying the same thing that I have no guru, and then he went on to perform. When he threw the sword in the air, he could not catch it with his mouth. He tried many times but he couldn't do it. If he had proudly said that heron is my guru, I have learned this art from a heron, and there is no shame. The only thing which stopped him was what will people say and he might lose his viewership.


Since childhood, we have been told to not touch some things, to not eat those things, to not go to certain places. By listening to negative words like "no, do not, refuse to, deny" at all times, our subconscious repeats most of those words. This results in the increase of exploitative use of "no" in our life.

It is necessary to make some changes to overcome this negativity.

1) How many times have the word "no" been used throughout the day?

Try to use less "no" the next day.

2) Use the word "maybe" instead of "no" as far as possible.

3) Before refusing any work / thing, think about if it is necessary to refuse? Can it be beneficial?

The work that can be done after some time or the thing which can be said later, is left to refuse

4) Change your conversation into positive conversation and end on the same note as well.
 

5) A different phrase should be used everytime instead of bluntly saying no. Something like these can be used, "let's see, will let you know whatever happens, See how things turn out, I have different priorities, will let you know, maybe, can't promise it will happen, can't say but let's be optimistic".

6) There are some things whose answers should be clear, then "yes" or "no" is necessary and their answer should be clearly stated in "yes" or "no"
 

7) Those things which do not have an answer should be replied with a "no"
 

8) By changing the way we talk, we can bring happiness around us
 

9) There is nothing difficult when it comes to correcting your mistake. In some cases, it will start to feel cheerful in practice.

10) There is nothing wrong in saying "no" where its needed, just use it in a limited manner. 

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

"नहीं" का सही उपयोग



"नहीं" का सही उपयोग



आज के लोकप्रिय औऱ अधिक बोले जाने बाले शब्दों में सॉरी, प्लीज के साथ एक शब्द और प्रचलन में आ रहा है और वह है ' नहीँ '।


"नहीं" एक ऐसा शब्द है जो कई रूप में हमारी रोज की जिंदगी के साथ जुड़ गया है। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से अपने जीवन में प्रयोग करके हम अपनी समस्याओ को कम कर सकते हैं।यह शब्द कुछ चीजें बिगाड़ सकता है तो कुछ चीजें बना सकता है। अभी
सकारात्मक ऊर्जा पाने के लिए बात करते हैं। अच्छा स्वभाव, चेहरे की चमक, चहकती आवाज, खुशी भरी बातचीत, औऱ हर परेशानी/दुख तकलीफ में भी अच्छाई ढूंढ लेना सकारात्मक ऊर्जा की पहचान है। सिर्फ शर्म के कारण किसी बात को मना कर देना, स्वीकार नहीं करना, ठीक नही होता।

एक बेरोजगार ब्यक्ति था। काफी समय तक उसे कोई नौकरी नही मिली तो एक दिन उसने चने खरीदे और उदास होकर समुद्र के किनारे बैठ कर चने खाते हुए सोचने लगा कि बिना रुपयो के खर्चा कैसे चलेगा। अचानक उसकी नजर एक बगुले पर पड़ी। बगुला चोंच में मछली को पकड़कर हवा में उछलता ओर चोंच में लपककर खा लेता। व्यक्ति को यह बहुत मजेदार लगा और वह ध्यान से बगुले के मछली को उछालने और वापस चोंच में पकड़ने के तरीके को देखने लगा और उसी की तरह वह भी अपने हाथ मे पकड़े चने को हवा में उछलकर मुँह में पकड़ने की कोशिश करने लगा। कुछ समय में ही उसे भी ये करतब करना आ गया।

अब वह अलग अलग चीजों को उछालकर मुँह से पकड़ने का अभ्यास करने लगा। अभ्यास करते हुई वह इतना होशियार हो गया कि तलवार को हवा में फेंक कर मुँह में पकड़ लेता था। यही खेल लोगों को दिखा कर वह पैसे कमाने लगा। एक दिन एक आदमी ने उसके खेल की तारीफ़ करते हुए उसके गुरु का नाम पूछा।व्यक्ति ने सोचा अगर वो बगुले को अपना गुरु बताएगा तो सब उसका मजाक बनाएंगे। उसने एकदम मना कर दिया कि मेरा कोई गुरु नही है। तब उस आदमी ने कहा अगर झूठ बोल कर करतब करोगे तो नुकसान उठाना पड़ेगा, पर व्यक्ति ने दुबारा  साफ मना कर दिया की मेरा कोई गुरु नहीं है, और फिर जब उसने तलवार हवा में उछाली तो उसे वापस मुँह में नही लपक सका। उसने कई  बार कोशिश की पर दोबारा करतब ठीक हुआ ही नहीं। यदि वो गर्व से कहता कि हा, मेरे भी गुरु है मैने एक बगुले से यह कला सीखी है तो कोई शर्म की बात नहीं थी क्योंकि यह हमारे मन के भाव होते है कि लोग क्या कहेंगे।

बचपन से सुनते हैं कि "ये चीज मत छुओ, ये चीज नही खाओ, वहाँ नही जाओ, ये नही करो"। हर समय "ना, नहीं, मत, मना, इंकार" जैसे नकारात्मक शब्दों को सुनकर हमारा अवचेतन मन ज्यादातर उन्ही शब्दों को दुहराता हैं। नतीजा होता है हमारे चारों तरफ "नही" की अधिकता बढ़ जाती है।

इस नकारात्मकता को दूर करने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी है।

1) पूरे दिन में कितनी बार "नही" शब्द का प्रयोग किया है?
अगले दिन कम बार "नही" शब्द का उच्चारण करना है।

2) जहाँ तक संभव हो "नही" की जगह "शायद" शब्द का प्रयोग करे।

3) किसी काम/बात को मना करने से पहले सोचें कि क्या मना करना जरूरी है? क्या वास्तव में वह काम नही किया जा सकता?
जो काम कुछ समय बाद किया जा सकता है या जो बात बाद में कही जा सकती हैं उसे मना करने से बचे

4) कोशिश करें "नही" शब्द को कह से कम प्रयोग करें।

5) अपनी बातचीत को सकारात्मक बातचीत में बदले।

6) जिस काम को करने की एक प्रतिशत भी सम्भावना हो उसके लिए कुछ अलग वाक्य बोले - कि देखते है, क्या पता ये हो जाये, करके देखने से पता लगेगा,शायद हो जाये, अभी कुछ नहीं कह सकते

7) कुछ काम ऐसे होते हैं जिनके उत्तर स्पष्ट होने चाहिए,तब "हाँ" या "नही" जरूरी होता है और उनका जवाब साफ साफ "हाँ" या "नही" में ही देना चाहिए
8) जिन बातों/कामो का उत्तर नहीं ही है उनको मना कर देना चाहिए
9) अपनी बातचीत के तरीके को बदल कर हम अपने आसपास खुश्हाली ला सकते है
10) अपनी गलती को सही करना आ जाये तो  कुछ भी मुश्किल नहीँ होता। कुछ समय में ही  व्यवहार में भी प्रफुल्लता महसूस होने लगेगी।
11) जहाँ जरूरत हो वहाँ ना कहने में बुराई नही है  बस इस शब्द का उपयोग सीमित मात्रा में करे।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Wednesday, May 8, 2019

थोड़ा विश्वास रखें



थोड़ा विश्वास रखें


हम अपने बचपन में सुनी कहानियों के माध्यम से ही आजकल की कई बुराइयों, कमियों और परेशानियों का सामना करके उनसे छुटकारा पा सकते हैं।

एक पर्वतारोही था।काफी ऊँचे ऊँचे पहाड़ चढ़ चुका था ।दूर दूर तक उसका नाम था। लोग पूछते थे कि इतनी ऊंचाई तक चढ़ते हुए गिरने का डर नही लगता।वह हँस कर जवाब देता था कि भगवान पर बहुत बिश्वास करता हु मेरा प्रभु मुझे कुछ नहीं होने देगा। 

एक दिन उसने  पहाड़ चढ़ने के कार्यक्रम बनाया। पर जब घर से
निकलने लगा तो मौसम खराब हो गया। सब लोगों ने कहा कि मत जा। इस मौसम में चढ़ना खतरनाक हो सकता है। उसने किसी की नही सुनी और वह  तेज हवाओं में ऊपर तक तो चढ़ गया पर जब नीचे उतरने लगे तोआँधी आने लगी बादलों से चारो तरफ अंधेरा हो गया। वह अपने भगवान को याद करते हुए जल्दी जल्दी उतरने लगा ,बहुत सावधानी से उतरते हुए भी अंधेरे में उसका पैर फिसल गया और वह तेजी से नीचे गिर ने लगा। अपने प्रभु को पुकारते हुए इधर उधर हाथ मारने लगा तो एक कोई टहनी उसके हाथ में आ गई और वह उस टहनी को पकड़कर लटक गया अब पैर मारकर देखा तो पैरो के नीचे जमीन नही थी। अब वह जोर जोर से अपने इष्ट को  मदद के लिए पुकारने लगा। दो बार पुकारने के बाद ही आवाज आई कि टहनी छोड़ दें तो तेरी जान बच जाएगी। आदमी ने सोचा अंधेरे मे कौन बोल रहा है। उसने पूछा तो उत्तर आया कि मै तेरा भगवान हूँ, जान बचाने के लिए टहनी छोड़ दें नही तो इतनी आंधी तूफान में तेरा बचना मुश्किल है। आदमी ने सोचा पता नही कितनी ऊँचाई पर लटका हूँ, सुबह होने पर देख लूँगा, पर टहनी छोड़ दी तो जरूर गिर कर मर जाऊँगा। आंधी तूफान सुबह तक समाप्त हो गया और वह घर नहीं पहुंचा। लोग उसे ढूंढने निकले तो देखा कि वो पहाड़ पर जमीन से चार इंच की ऊँचाई पर लटका हुआ है रात के तूफ़ान में उसकी मृत्यु हो गई थी।
  • विश्वास एक ऐसी शक्ति है जो बड़ी से बड़ी समस्या का सामना करने की ताकत देता है।विश्वास के बल पर ऊँचे पर्वत चढ़े जा सकते हैं पर भरोसा न हो तो चार इंच की दूरी भी पार नही होती।जब नींद नही आती तो हम मान लेते है कि दवाई खा कर नींद आ जायेगी। यदि नींद लाने के उपाय किए जाए और पक्का इरादा कर ले कि धीरे धीरे दवाई से पीछा छुड़ाना है, तो कुछ समय में ही ये संभव हो जायेगा।
  •  तो आज से ही मन मजबूत किया जाय।

  1. सोने से तीन घण्टे पहले खाना खा लेना चाहिए।
  2. अगले दिन के काम के नोट्स बना कर रख देने चाहिए।
  3. सोने के कमरे को व्यवस्थित तरीके से रखे।साफ सुथरा ।
  4. अपने मन पसन्द रंग के तकिये के कवर और चादर लगाये।
  5. सोने से आधा घंटा पहले कमरे में हल्की सी खुशबू करे। इसके लिए परफ्यूम, इत्र, अरोमा, का प्रयोग करे अगर किसी सुगंध से एलर्जी हो तो ना करें। 
  6. बहुत कम आवाज में हलका संगीत चलाये।
  7. सोने वाले कमरे में रोशनी कम रक्खे।
  8. कुछ लोगों को पुस्तक पढ़ कर अच्छी नींद आती है।
  9. अगर सोने से पहले टेलीविजन देखने की आदत है तो कोशिश करें कि कुछ मज़ाकिया, हँसी मज़ाक के कार्यक्रम देखे।
  10. कभी कभी थोड़ा बहुत टहल कर भी नींद अच्छी आ जाती है।
  11. दिन में चाय कॉफी की मात्रा कम करने की शुरुआत करें। ग्रीन टी नुकसान नहीं करती हो तो थोडी थोड़ी करके शुरू करे और पानी ज्यादा पियें।
  12. नीद लाने के लिए मन को तैयार करना जरूरी है कि  समय लगेगा पर बिना दवाई के भी नींद आएगी और विश्वास की ताकत से यह संभव भी होगा। बस प्रयास करते रहना है। 

 अपनी दिनचर्या में सुधार करके नींद भी आएगी और आँखों के काले घेरे, झाइयां, झुर्रियां भी दूर होंगी। मन को प्रसन्न, खुश, प्रफुल्लित,आनन्दित और उत्साह से भरपूर रखें। यही गहरी नींद का राज है।

खुश रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें

Have a little faith


 Have a little faith



Today, we talk about faith. We can get rid of or confront many issues, shortcomings and problems of life, through the stories we heard in our childhood.

            There was a mountaineer. He climbed very high mountain because of which he became quite popular. People used to ask him if he is ever scared of falling from such height. He would laugh and reply that I believe in God very much that my Lord will not let anything bad happen to me.

One day he thought of climbing a mountain. But as soon as he started to leave his house, the
weather got bad. All of his neighbors and relatives asked him to stay put and not go for a climb as climbing in this weather can be dangerous. He did not listen to anyone and he got up to the top in the stormy winds, so he started to retreat, The dark stormy clouds started appearing. He started to hurry, while remember his Lord and enchanting his prayers, rushing down very carefully. Even though he lost his grip and his foot slipped. He started falling while calling God for help. He started hitting his hand around there to grab onto something. Luckily he grabbed a twig. As he was hanging on that twig, he started shouting and calling out god for help. Right after he stopped screaming to gasp for air, he heard a voice asking him to leave the twig and telling him that he will live only if he lose his hold of that twig. The man asked, who is speaking in the dark. He heard the same voice again telling him to leave the twig, otherwise it is difficult to survive in such storm. The man thought if he lose the twig, he will fall and die. The storm ended by the morning. Neighbors got worried and started search for the man, they found his body hanging on a branch with only four inches of distance from his feet to the ground.
  • Faith is something which gives strength to face bigger problems. High mountains can be conquered by having a little faith. But if you lose the faith then the distance of four inches starts to seem scary. When we could not sleep, then we take medicine for the sleep. If such measures are to be taken to sleep then we should have strong determination to look for natural ways to gradually become independent of the medicine addiction for sleep. Only then it will become a possibility.
  • So the mindset is the first thing which should be strengthened
  1. The food should be eaten three hours before sleeping.
  2. The tomorrow's work notes should be pre-planned and created today.
  3. Keep the rooms clean, tidy and organised.
  4. Put pillow-covers and bedsheets of your favorite colors.
  5. Keep your room smelling fresh and nice by using subtle fragrance or aroma before going to bed. If you are allergic to any aroma, then do not use it.
  6. Play soothing music on very low volume.
  7. Keep Low/dim lights in the sleeping room
  8. Try reading a book or a few pages before going to bed.
  9. If you have a habit of watching television before sleeping then try to see some comedy shows.
  10. Go for a short and slow walk after dinner to sleep well.
  11. Start reducing tea and coffee intake. Get in touch with your physician/doctor and ask if you could drink green tea or green coffee.
  12. Get rid of all the distractions and clear your mind of all the worries before going to bed. It’s possible to get rest and sleep. Try to get rest and will eventually fell asleep. Have faith.

Improve your daily routine and Keep your mind calm and yourself happy, cheerful and enthusiastic. That is the secret of deep sleep.

Be happy, stay healthy, be busy, stay busy

Tuesday, May 7, 2019

जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण और कदम



जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण और कदम

New Perspective and Steps towards Life

हम बहुत फंस गए हैं

जीवन के प्रति हमारी मान्यताओं में हम भूल जाते हैं कि एक सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है। वह चीज जो एक सकारात्मक व्यक्ति को आसपास की नकारात्मकता से अलग करती है, वह है परिस्थितियों और जीवन की घटनाओं के प्रति दृष्टिकोण। संक्षेप में,जीवन जीने का मतलब वह है जिसमें अच्छा स्वास्थ्य भी शामिल है। जीवन में जो कुछ भी होता है वह तनाव का कारण बनता है और कई तरह की बीमारियां देता है। एक उदाहरण की मदद से विस्तार से जानते हैं। 

New Perspective and Steps towards Life

New Perspective and Steps towards Life

(हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे)

New Perspective and Steps towards Life

We are so stuck

in our beliefs towards life that we forget even a coin has a flip side. The thing that differs a positive person from a gloomy one is the perspective towards circumstances and life events. Life, in essence, means living which also includes good health. Everything that has happened in life is what causes stress and gives a variety of diseases. Let me elaborate with the help of an example