Thursday, September 26, 2019

कल कभी नहीं आता

कल कभी नहीं आता

ये कहानी भी काफी पुराने समय की है। मैंने ये कहानी अपने बचपन मे सुनी थी। ये कहानी आपने भी कभी, कहीं सुनी होगी।

एक किसान के खेत मे एक चिड़िया ने अपना घोंसला बना कर अंडे दिए। जब उसमें से छोटे-छोटे चूजे निकले तो चिड़िया चूजों को अकेला छोड़कर उनके लिए भोजन लेने जाती थी। चिड़िया को अपने बच्चों की चिंता लगी रहता थी कि, अगर किसी ने फसल काटी तो, उसके बच्चों को नुकसान पहुंच जाएगा। एक दिन उसके वापस लौटने पर बच्चों ने बताया कि, किसान फसल देखने आया था और कह रहा था कि फसल पक गई है काटनी पड़ेगी। यह सुनकर चिड़िया बोली "कोई बात नहीं, अभी किसान फसल  नहीं कटेगा"। अब उसे भी फ़िक्र हो गई क्योंकि अभी चूजों के पँख इतने बड़े नहीं थे की वो उड़ सके। दो दिन बाद बच्चों ने बताया की किसान आज कह रहा था कि, वह अपने पड़ोसियों को भेजेगा फसल काटने के लिए। चिड़िया जानती थी कि, कोई नही आयेगा। पर, दो दिन बाद बच्चों ने कहा कि, किसान आया था और बोल रहा था कि, "अब फसल बहुत पक चुकी है"। कल भाइयों को भेजेगा काटने के लिए। यह सुनकर चिड़िया बोली उड़ने का अभ्यास करते रहना क्योंकि दो चार दिन मै ही हमें यह जगह छोड़नी होगी। पर अभी कल उसके भाई काम करने नहीं आएंगे। अबकी बार किसान आया तो वह फसल देखकर बोला कि, "अब तो मुझे ही काटना पड़ेगा, कोई किसी का काम नहीं करता। मुझे अपना काम खुद ही करना होगा नहीं तो फसल खराब हो जाएगी"। जब चिड़िया के बच्चों ने यह बात चिड़िया को बताई तो वह बोली अब यहाँ पर रुकना ठीक नहीं है। उसके बच्चों के पँख भी थोड़े बड़े हो चुके थे। वह अपने बच्चों को लेकर उड़ गई।

ये बात बहुत साधारण सी लगती है लेकिन गहराई से देखे तो सच है। जब हम मन, वचन और कर्म से ठान लेते हैं, तब ही कोई काम पूरा कर सकते हैं। किसी दूसरे से काम कराने की इच्छा से कभी कोई काम नही होता। अपना काम स्वयं ही करना पड़ता है। दफ्तर के काम के लिए सहकर्मियों से काम कराने की उम्मीद करते हैं। घर में परिवार के सदस्यों से अपना काम करवाना चाहते हैं। परन्तु, कभी दूसरा कोई व्यक्ति हमारा काम कर देता है, तो बदले में कुछ हमसे भी चाहता है। और, कभी नहीं करता तब जो मानसिक तनाव होता है। उससे बचने के लिए हमेशा अपना काम स्वयं करना चाहिए।

जब हम सोचते हैं की यह करना है तब हम मानसिक रूप में अपने को काम करने के लिए तैयार कर रहे होते है। जब हम किसी के सामने मुँह से बोलते हैं अपने सोचे हुए काम को करने के बारे में, तब वचन यानी, बोली की भी ताकत जुड़ जाती है। इस प्रकार, मन अपने सोचने और मुँह अपने शब्दों से, काम को करने की ओर ले जाता हैं।  तब काम को पूरा करने के लिए जो मेहनत की जाती है वही कर्म है। उसके बिना मन और वचन अर्थहीन है। मुख्य भूमिका कर्म निभाता है। इस कहानी में दो सीख छुपी हुई हैं।

१.) अगर किसान को लेकर देखे तो उसने पहले ही दिन से कहा कि फसल पक गई है। परन्तु, वह खुद काम नहीं करना चाहता था। इसलिए पड़ोसियों औऱ भाइयो पर आश्रित, निर्भर हो गया। जिससे उसका काम समयानुसार पूरा नहीं हो सका और तब उसकी फसल खराब भी हो सकती थी। यानि, काम को समय सीमा में समाप्त करने के लिए किसी का आसरा देखने की जगह, खुद करना चाहिए।

२.) अगर चिड़िया के नजरिये से देखे तो हर परिस्थिति में शान्ति, समझदारी, और संयम से निर्णय लेना चाहिए। चिड़िया ने किसान की बात से समझ लिया कि, यह आलसी हैं और अपना काम दूसरों से कराना चाहता है। सारी चीजें देखकर, समझ कर और विचार करके उसने कुछ दिन और रुकने का निर्णय किया। और अपने बच्चों को इतना बड़ा कर लिया कि, वो सब सकुशल वहाँ से निकल सके।

किसी काम को करने का विचार मन मे आते ही समझ लेना चाहिए कि, उस विचार के साथ मन की शक्ति जुड़ गई है। उस बात पर सोचना चाहिए कि, कितना समय लगेगा, कितना धन लगेगा और काम खुशी के लिए करना है या धन प्राप्ति के लिए करना है। फिर बदले में कितनी खुशी होगी या कितनी धन प्राप्ति होगी। अच्छी तरह सोच समझकर उसमें वचन की शक्ति को जोड़ें। यानि कि जो अपने हैं, आपके शुभचिंतक हैं, करीबी दोस्त, रिश्तेदार है उन्हें अपना विचार बताए। अगर किसी को नहीं बताना चाहते तो फिर जिस भी सर्वोच्च शक्ति को मानते हैं, आपका जिस भगवान् पर विश्वास हो, उनके सामने अपनी बात कहे। जिससे उस विचार के साथ वाणी, बोली, वचन की शक्ति भी जुड़ जाए। इसके बाद अपनी तीसरी और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण शक्ति-कर्म, मेहनत को जोड़ दें क्योंकि इसके बिना मन और वचन का काम बेकार हो जाता है। मुख्य भूमिका कर्म ही निभाता है। जैसे कि, आप मन मे सोचने लगें कि, घर की सफाई करनी है, फिर, जो करना है वह बोलने भी लगे की, सफाई करनी है। किंतु, जब तक काम शुरू नही करेंगे, सोचना और बोलना बेकार होता रहेगा, और गंदगी बढ़ती रहेगी। अब से आदत बनाये जो काम करना है, उसे ज्यादा समय तक नहीं लटकाना है। जल्दी से जल्दी, समय-सीमा के साथ ही पूरा करने का प्रयास करना है। शुरू में थोड़ा समय लगेगा, फिर काम को समय से पूरा करने का अभ्यास हो जाएगा और आपके सब काम बिना किसी विघ्न-बाधा के, समय से पूरे होने लगेंगे।

खुश रहो,स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो।

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