Saturday, August 24, 2019

दिशा और परिश्रम



दिशा और परिश्रम



लगन ब्यक्तित्व को ऊपर उठाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अक्सर छोटे बच्चों को कहा जाता है लगन से काम करोगे तो परिणाम अच्छा ही आएगा।

    बचपन में पढ़ी हुई बहुत सी कहानियों मे से आज एक आपको सुनाने की इच्छा है।मैंने कई अटपटी कहानियों से सुलझे हुए अर्थ निकलने की कोशिश की है जिनमें से एक कहानी यह भी है।

एक शंकर नाम का ब्यक्ति था। उसे हरेक बात में शिकायत करने की आदत थी। उसे लगता था कि मातापिता उसको कम और उसके भाई बहनों में ज्यादा प्यार करते है। स्कूल में अध्यापक भी अन्य छात्रों के साथ पक्षपात करते थे, ऑफिस में भेदभाव होता है, इसी तरह की बातें सोचते हुए उसने मान लिया, कि इन सब बातों के लिए भगवान जिम्मेदार है। भगवान ने ही उसे खराब माहौल दिया, उसके चारों तरफ  नकारात्मकता दी है, और इतना सोचते ही, शंकर गुस्से में मंदिर गया। वहाँ भगवान की मूर्ति के सामने दो-चार बुरी बातें सुनाई, जिससे उसका गुस्सा निकल गया और उसका मन कुछ शांत हो गया।

     अब उसने रोज मंदिर जाने का नियम बना लिया। मंदिर में पूजा करने वाले लोग उसे समझते, कि प्रभु सब कुछ अच्छा देता है। मंदिर में बुरी बात नही करनी चाहिए, पर शंकर किसी की बात नहीं सुनता था। अपनी भड़ास, गुस्सा, खीझ, परेशानी, चिड़चडाहट भगवान पर निकाल कर आ जाता था।

      एक दिन बहुत बूंदाबांदी हो रही थी सारे रास्ते में पानी भर गया ।इतनी अधिक बारिश थी कि लोग पूजा करने भी नहीं गए। शंकर थोड़ी देर तक बरखा के रुकने का इंतजार करता रहा ।जब वर्षा कम होने की बजाय ज्यादा तेज हो गई तो शंकर मंदिर चल दिया।।घरवालो ने, पासपड़ोस वालों ने मना किया कि इतने खराब मौसम में जाना ठीक नही है ।पर उसने किसी की नहीं सुनी और जाकर परमात्मा को कोसना शुरू कर दिया इतनी खरीखोटी  सुनाई कि उसके  गला  से आवाज निकलनी बन्द हो गई। तभी भगवान की मूर्ति में से आवाज आई कि शंकर अपने मन मे तूने ठान लिया था कि अपनी हरेक परेशानी के लिये तू मुझे उत्तरदायी ठहराएगा ,इसी लग्न में तुझे इतना जोश दिया कि तू खराब  समय में भी आ गया जबकि रोज आने वाले भी आज  मौसम से डर कर पूजा करने नही आये।जितनी लगन बुरा बोलने में लगाई उतनी लगन अपने सामने आये हुए काम को करने में लगाई होती तो जीवन मे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंच गया होता। अपने काम को करते समय  हमारे आसपास के लोग हमें रोकते भी हैं और टोकते भी है। लोगो ने कहा मंदिर में बुरा नही बोल ,लोगो ने कहा मौसम खराब है घर बैठ ,पर तूने दोनों बार गलत किया ।शंकर बोला फिर भी तुम्हें मेरी बात सुनने आना पड़ा ।तब भगवान ने उसे समझाया कि रोज जाने से उसे एक काम को निरन्तरता से करने की आदत बन गई पहले वह किसी भी काम को कुछ दिन करने के बाद ही नकारात्मकता, पक्षपात, भेदभाव का बहाना बना कर छोड़ देता था। काम का अच्छा और सही परिणाम मिलने ने समय लगता है और काफ़ी कठिनाई होती है।

       सही दिशा में ,सही तरीके से   की हुई कोशिश, लगन, मेहनत, कभी बेकार नहीं जाती। पौधा लगकर रोज पानी देना होता है फूल और फल के लिए कुछ इंतजार करना पड़ता है  समय आने पर ही फल और फूल मिलता है।माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आये फल होए।

     तो आज से ही बेकार,फालतू ,व्यर्थ ,बकवास औऱ नकारात्मक विचारों को दूर करके एक नई ऊर्जा, जोश,ताजगी औऱ सकारात्मक विचारों के साथ अपने आसपास के लोगों को, माहौल को देखना आरम्भ कीजिए।आपको सामने खुशी,तरक्की, उन्नति और खुशहाली इंतजार करती दिखाई देगी।बस अपनी काम करने की लगन को किसी भी कीमत पर कम मत होने देना।

 खुश रहो,स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो।

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